गुरुवार, 10 जुलाई 2025

भारत बंद 2025: जब देश की सड़कों पर गूंज उठी मज़दूर-किसान की आवाज़

 9 जुलाई 2025

 राष्ट्रव्यापी भारत बंद, देशभर के मज़दूर संगठनों और किसान यूनियनों का संयुक्त आंदोलन 
the viral issues hindi
bharat bhand


भारत ने एक बार फिर एक बड़े श्रमिक और किसान आंदोलन का गवाह बना जब 9 जुलाई 2025 को देशभर में भारत बंद का आह्वान किया गया। यह बंद न केवल सरकार की नई श्रम नीतियों के विरोध में था, बल्कि सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, और कृषि संकट जैसे कई गंभीर मुद्दों को लेकर था। इसमें भाग लेने वाले संगठनों ने इसे एक ‘जनता की चेतावनी’ करार दिया।

इस भारत बंद को समर्थन देने वाले संगठनों की सूची बेहद व्यापक रही:

  • 10 केंद्रीय श्रमिक संगठन:
    INTUC, AITUC, CITU, HMS, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF, और UTUC

  • संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और अन्य किसान यूनियनें

  • ग्रामीण मज़दूर संगठनों की भी बड़ी भागीदारी रही

       BMS (भारतीय मज़दूर संघ) ने इस बंद में भाग नहीं लिया।


आंदोलन की मुख्य मांगें

हड़ताल की 17 प्रमुख मांगों में से कुछ महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं:

  1. चार श्रम संहिताओं की वापसी, जिन्हें मज़दूर विरोधी कहा जा रहा है।

  2. सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी परिसंपत्तियों के निजीकरण पर रोक

  3. पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली और सभी रिक्त सरकारी पदों की भरपाई।

  4. ₹26,000 न्यूनतम वेतन की मांग।

  5. किसानों के लिए कानूनी रूप से सुनिश्चित MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य)

  6. ILO कन्वेंशन 87 और 98 के पूर्ण अनुपालन की मांग।

  7. 100 कार्य दिवस से बढ़ाकर 200 दिन की MGNREGA रोजगार गारंटी

बंद का असर – कहां क्या रहा प्रभावित?

सेक्टरप्रभाव
बैंकिंग सेवाएंसरकारी बैंकों में कामकाज ठप, करोड़ों की बैंकिंग लेनदेन रुकी।
सार्वजनिक परिवहनकेरल, ओडिशा, बंगाल और तमिलनाडु में बस सेवाएं बाधित रहीं।
रेल सेवाएंरेलवे यूनियनों की सीधी भागीदारी नहीं थी, फिर भी कई जगह ट्रेनें प्रभावित हुईं।
औद्योगिक उत्पादनकोयला खदान, एलपीजी यूनिट्स, और तेल रिफाइनरियों में कार्य बाधित।
शिक्षा संस्थानशहरी क्षेत्रों में स्कूल-कॉलेज खुले रहे; ग्रामीण क्षेत्रों में आंशिक बंद।



 ज़मीनी हालात और पुलिस की कार्रवाई

  • तमिलनाडु में 30,000 से अधिक प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी हुई।

  • पश्चिम बंगाल और ओडिशा में हाईवे और सड़कों पर रुकावटें देखी गईं।

  • हावड़ा, जादवपुर और दरभंगा जैसे इलाकों में पुलिस की तैनाती बढ़ाई गई।

  • कुछ स्थानों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हल्की झड़पें भी हुईं।

आगे की राह: क्या बदलाव आएंगे?

  • अभी तक केंद्र सरकार की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

  • संगठनों ने कहा है कि यदि सरकार बात नहीं करती, तो यह आंदोलन स्थायी रूप ले सकता है।

  • भारत बंद को भारत के औद्योगिक इतिहास में एक निर्णायक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है।

  • 9 जुलाई 2025 का भारत बंद केवल एक दिन की हड़ताल नहीं था, यह भारत के मज़दूरों, किसानों और ग्रामीण समाज की आर्थिक और सामाजिक असंतोष की तीव्र अभिव्यक्ति थी। सरकार को इस सामूहिक आवाज़ को केवल विरोध नहीं, बल्कि नीति सुधार का अवसर समझना चाहिए।




source

  • Associated Press (AP News)

  • NDTV

  • Hindustan Times

  • The Indian Express

  • LiveMint

  • Times of India

  • Navbharat Times


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें